काशी भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। इसे वाराणसी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है। काशी को मंदिरो का शहर भी कहा जाता है। यह शहर विश्वभर में भव्य और ऐतिहासिक मंदिरो के लिए जाना जाता है। काशी अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है। आइए, वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों और उनकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानें।
![वाराणसी (काशी)](https://www.kashiblog.com/wp-content/uploads/2025/01/Varanasi-1-1024x439.jpg)
1. काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।काशी विश्वनाथ मंदिर को “विश्व के नाथ” यानी “संसार के स्वामी” के रूप में पूजा जाता है। इसे मोक्ष और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है।
![काशी विश्वनाथ मंदिर](https://www.kashiblog.com/wp-content/uploads/2025/01/Kashi-Vishwanath-Temple-varanasi.jpg)
विशेषता:
- यहाँ भगवान शिव का “विश्वनाथ” रूप में पूजन किया जाता है।
- यह मंदिर गंगा नदी के पास स्थित है, और इसकी वास्तुकला बेहद आकर्षक है।
- यहाँ पर आने वाले भक्त मोक्ष प्राप्ति की कामना के साथ गंगा स्नान और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
इतिहास: इसे महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में पुनर्निर्मित करवाया था। 1839 में, पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को सोने से मढ़वाया।
2. संकट मोचन हनुमान मंदिर
संकट मोचन मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। यह मंदिर गंगा नदी के तट के पास, काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पास स्थित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे भक्तों की आस्था और संकटों से मुक्ति के लिए जाना जाता है।
![संकट मोचन हनुमान मंदिर](https://www.kashiblog.com/wp-content/uploads/2025/01/Sankat-Mochan-Temple.jpg)
विशेषता:
- यहाँ भक्तों का विश्वास है कि उनकी सभी परेशानियाँ “संकट मोचन” हनुमान के दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं।
- मंगलवार और शनिवार को यहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है।
- मंदिर में गुलाब और लड्डू चढ़ाने की परंपरा है।
इतिहास: इस मंदिर की स्थापना गोस्वामी तुलसीदास ने 16वीं सदी में की थी।
3. दुर्गा मंदिर (दुर्गा कुंड)
दुर्गा मंदिर, जिसे दुर्गा कुंड भी कहा जाता है, यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और काशी में माँ दुर्गा की शक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है। मंदिर के पास स्थित एक पवित्र कुंड (जलाशय) के कारण इसे दुर्गा कुंड कहा जाता है।
![दुर्गा मंदिर (दुर्गा कुंड)](https://www.kashiblog.com/wp-content/uploads/2025/01/Durga-Mata-Temple-1024x765.jpeg)
विशेषता:
- इस मंदिर के पास स्थित कुंड इसे “दुर्गा कुंड” के नाम से भी प्रसिद्ध बनाता है।
- मंदिर की लाल रंग की दीवारें इसकी खास पहचान हैं।
- यहाँ नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।
इतिहास: यह मंदिर 18वीं सदी में बंगाल की महारानी द्वारा बनवाया गया था।
4. काल भैरव मंदिर
काल भैरव मंदिर वाराणसी के प्राचीन और प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव के भैरव रूप को समर्पित है। उन्हें काशी का कोतवाल (रक्षक) माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि काशी में आने वाले हर व्यक्ति को भगवान काल भैरव की अनुमति और आशीर्वाद लेना चाहिए। यह मंदिर आस्था, शक्ति और रहस्यमय आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है।
![काल भैरव मंदिर](https://www.kashiblog.com/wp-content/uploads/2025/01/Baba-Kal-Bhairav-Temple.png)
विशेषता:
- यहाँ पर भगवान भैरव को “काशी के कोतवाल” के रूप में पूजा जाता है।
- भक्त मंदिर में काले धागे और तेल चढ़ाते हैं।
- यहाँ आने वालों का विश्वास है कि भगवान भैरव उनकी सभी विपत्तियों को हर लेते हैं।
5. अन्नपूर्णा देवी मंदिर
अन्नपूर्णा देवी मंदिर देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में अन्न और समृद्धि की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। यह मंदिर वाराणसी के विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है और भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। माँ अन्नपूर्णा को काशी की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है।
![अन्नपूर्णा देवी मंदिर](https://www.kashiblog.com/wp-content/uploads/2025/01/Annapurna-Temple-Varanasi-1024x576.jpg)
विशेषता:
- मंदिर में आने वाले भक्त यह मानते हैं कि यहाँ दर्शन करने से कभी भी अन्न की कमी नहीं होती।
- यहाँ अन्नकूट महोत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है।
- इतिहास: इस मंदिर का निर्माण भी महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।
6. तुलसी मानस मंदिर
तुलसी मानस मंदिर में रामचरितमानस के श्लोक दीवारों पर अंकित हैं। यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है, जहाँ महान संत और कवि गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी कालजयी कृति रामचरितमानस की रचना की थी। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय साहित्य, कला, और संस्कृति का भी प्रतीक है।
![तुलसी मानस मंदिर](https://www.kashiblog.com/wp-content/uploads/2025/01/Tulsi-Manas-Temple-1024x576.jpeg)
विशेषता:
- यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है।
- यहाँ संगमरमर से निर्मित मंदिर बेहद आकर्षक है।
- यह स्थान धार्मिक साहित्य प्रेमियों के लिए विशेष महत्व रखता है।
इतिहास: यह मंदिर 1964 में बनवाया गया था।
7. न्यू विश्वनाथ मंदिर (बीएचयू मंदिर)
न्यू विश्वनाथ मंदिर, जिसे बीएचयू मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत भव्य और शांतिपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के परिसर में स्थित है और काशी के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। इसे काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रतिरूप के रूप में निर्मित किया गया है और यह अपने स्थापत्य, विशालता और आध्यात्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।
![न्यू विश्वनाथ मंदिर (बीएचयू मंदिर)](https://www.kashiblog.com/wp-content/uploads/2025/01/BHU-Vishwanath-Temple.jpg)
विशेषता:
- यह मंदिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) परिसर में स्थित है।
- इस मंदिर का निर्माण आधुनिक वास्तुकला शैली में किया गया है।
- यह मंदिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी-देवताओं को भी समर्पित है।
8. भारत माता मंदिर
भारत माता मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में भी अद्वितीय है। यह मंदिर अन्य धार्मिक स्थलों से अलग है, क्योंकि यहाँ किसी देवी-देवता की मूर्ति नहीं है। इसके स्थान पर भारत माता के सम्मान में बनाया गया एक विशाल भारत का नक्शा है, जो देश की अखंडता, विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करता है।
![भारत माता मंदिर](https://www.kashiblog.com/wp-content/uploads/2025/01/Bharat-Mata-Mandir.jpeg)
विशेषता:
- इस मंदिर में भारत का एक विशाल नक्शा पत्थर पर उकेरा गया है।
- यह देशभक्ति का प्रतीक है और पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
इतिहास: इस मंदिर का निर्माण 1936 में किया गया था।
निष्कर्ष
वाराणसी के मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, वास्तुकला और परंपराओं का जीता-जागता प्रमाण हैं। यहाँ का हर मंदिर अपनी विशेषता और आस्था के लिए अद्वितीय है। अगर आप आध्यात्मिक यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं, तो काशी के इन मंदिरों का दर्शन अवश्य करें।